Gitapress Viraha Padavali (Code-547)
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Gitapress Viraha Padavali (Code-547) :- "गीता प्रेस विरह-पदावली (कोड-547)" पुस्तक में श्रीसूरदासजी द्वारा विरचित गोपी-विरह-सम्बन्धी ३२५ पदों का संग्रह है। इस पुस्तक में अक्रूरजी के साथ श्रीकृष्ण के मथुरा गमन के समय यशोदा एवं गोपियों की विरह-दशा का बड़ा ही मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया है।
श्रीसूरदासजी के विरह-पदों का संग्रह "विरह-पदावली" एक अद्भुत काव्य संग्रह है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के विचित्र विलासों के बीच उनकी प्रिय गोपियों के विरह का दर्दपूर्ण चित्रण किया गया है। यह पुस्तक भगवान श्रीकृष्ण के विरह विषयक एक अनोखी भावनाओं भरी कहानी है, जो हमारे हृदय को छू जाती है।
इस पुस्तक में गोपियों का अपने सखा श्रीकृष्ण के विचलित विलासों के विरह के प्रति अद्भुत प्रेम और विश्वास का वर्णन है। इसमें उनके मधुर संगीत से भरे विरह-गीत हैं जो उनकी आत्मीयता और समर्पण को दर्शाते हैं।
इस पुस्तक में श्रीकृष्ण के मथुरा ग
मन के समय गोपियों का दुःख और उनके संगीत से भरे प्रेम का वर्णन दिया गया है। यह पुस्तक पाठकों को गोपियों के प्रेम और उनकी अतीव संवेदनशील भावनाओं के साथ जीवन के मार्ग पर सहायता करती है।
यदि आप काव्य और भक्ति संबंधी साहित्य में रुचि रखते हैं तो "विरह-पदावली" आपके लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन हो सकती है। इस पुस्तक को पढ़ने से आपको गोपियों के प्रेम के आधार पर आध्यात्मिक उन्नति और प्रेम के आनंद का अनुभव होगा।
Gitapress Viraha Padavali (Code-547)
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