Bhagavat Ki Prapti mei Bhava Ki Pradhanata : – “भगवत्प्रेम की प्राप्ति में भाव की प्रधानता” (कोड-1015) एक कल्याणकारी प्रकाशन है जो भगवद्भाव की वृद्धि करने वाले विभिन्न लेखों का संक्षेपित संग्रह है। इस पुस्तक में भगवत्प्रेम की प्राप्ति में भाव की प्रधानता के महत्वपूर्ण मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई है।
यह पुस्तक आध्यात्मिक भावना के महत्व को समझाती है और भगवद्भाव की ऊर्जा को विकसित करने के उपायों को प्रस्तुत करती है। भगवत्प्रेम का महत्व और इसे प्राप्त करने के उपायों का विस्तृत विवरण पाठकों को आत्मानुभूति और भगवत्प्राप्ति के प्रति उत्साहित करता है।
पुस्तक में विभिन्न लेखकों ने अपने अनुभवों और ज्ञान के आधार पर भगवत्प्रेम में भाव की महत्वपूर्ण भूमिका को बताया है। इसमें भगवद्भाव के विभिन्न पहलुओं, उनके अभिव्यक्ति रूपों और प्राप्ति में भाव की महत्व का विवेचन किया गया है।
इस पुस्तक का संग्रह प्रामाणिकता और विश्वसनीयता के साथ प्रस्तुत किया गया है। यह आत्मानुभूति और भगवत्प्राप्ति के अनमोल सूत्रों का संग्रह है, जो व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और आनंद की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है। पुस्तक के संदर्भ में दिए गए उपदेश और सुझाव पाठकों को अपने जीवन को सकारात्मक और उदार बनाने में मदद करेंगे। भगवत्प्रेमकी प्राप्तिमें भावकी प्रधानता पुस्तकाकार—भगवद्भावकी वृद्धि करनेवाले विभिन्न लेखोंका एक कल्याणकारी प्रकाशन।
Bhagavat Ki Prapti mei Bhava Ki Pradhanata
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