Geetapress Valmiki Ramayan (Code-1907) :- “गीताप्रेस वाल्मीकि रामायण” भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जिसमें भगवान श्रीराम की जीवन कथा, धर्मिक महत्व, और आदर्श चरित्र का सुंदर और अद्वितीय वर्णन है। यह ग्रंथ त्रेतायुग के महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित हुआ था और इसका मान्यता है कि इसमें वेदों की भाषा में भगवान श्रीराम का चरित्र वर्णित है, इसके कारण इसे वेदों के समकक्ष माना जाता है और इसका गौरव है कि यह धर्मिक जगत में बहुत महत्वपूर्ण है।
“गीताप्रेस वाल्मीकि रामायण” धराधाम का आदिकाव्य होने के साथ-साथ भगवान के दिव्य चरित्र की सर्वप्रथम व्यापक व्याख्या भी है। यह ग्रंथ भगवान श्रीराम के गुण, धर्म, और आचरण को प्रकट करता है और उनके जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं का विवरण देता है।
इस पुस्तक के हर श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रजा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता जैसे अनगिनत गुणों का सुंदर वर्णन है। इसमें भगवान श्रीराम का पूरा चरित्र विवेचन किया गया है, जिससे पाठक उनके आदर्शों को समझ सकते हैं और उनसे प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं।
इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद भी अत्यंत सरल और समझने में आसान है, जिससे पाठक आसानी से इस महाकाव्य को समझ सकते हैं और उसका आनंद उठा सकते हैं। “गीताप्रेस वाल्मीकि रामायण” भारतीय साहित्य और धर्म की महत्वपूर्ण धारा है और यह ग्रंथ धर्मिकता, नैतिकता, और मानवता के महत्वपूर्ण सिख सिखाता है। इस पुस्तक को पढ़कर पाठक भगवान श्रीराम के चरणों में अपनी आत्मा को समर्पित कर सकते हैं और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चल सकते हैं।
Geetapress Valmiki Ramayan (Code-1907)
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