Gitapress Balmiki Ramayan Sunderkand Satik (1549) :- “गीताप्रेस बालमिकि रामायण सुंदरकांड सातिक” (कोड-1549) एक अमूल्य ग्रंथ है जो श्रीमद्वाल्मीकी रामायण के प्रसिद्ध सुंदरकांड को सातिक (टिप्पणीकारी सहित) रूप में प्रस्तुत करता है। श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण एक महत्वपूर्ण कृति है जो त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के द्वारा संकलित हुई थी। वेदों के श्रीमद्रामायण के रूप में प्रकट होने के कारण इसे वेदतुल्य माना जाता है और इसका ग्रहण करने वाले व्यक्ति को अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है।
श्रीमद्रामायण धराधाम का आदिकाव्य होने के कारण इसमें भगवान श्रीराम के लोकप्रिय चरित्र का सविस्तार वर्णन है। सुंदरकांड के माध्यम से भगवान के अनेक दिव्य गुणों, धर्म के मूल सिद्धांतों, भक्ति और सेवा की महत्वपूर्ण शिक्षाओं को प्रस्तुत किया गया है।
“बालमिकि रामायण सुंदरकांड सातिक” इस ग्रंथ के दो खण्डों में उपलब्ध है। यह ग्रंथ सरल भाषा में लिखा गया है जिससे इसे विभिन्न वयोमान के बच्चों और युवा व्यक्तियों को समझने में आसानी होती है। इसमें सच्चित्र और सजीव भगवान श्रीराम के दिव्य चरित्र को उजागर करने वाले चित्र भी दिए गए हैं जो बच्चों के मन को प्रभावित करते हैं और उन्हें भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना से परिचित कराते हैं।
यह ग्रंथ श्रीमद्रामायण के सुंदरकांड को प्रत्येक परिवार के सदस्यों के लिए अनमोल उपहार है। इसके माध्यम से सभी व्यक्तियों को श्रीराम के दिव्य चरित्र और उनकी भक्ति का अनुभव होता है जो उन्हें जीवन में सच्ची शांति, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति में मदद करता है।
Gitapress Balmiki Ramayan Sunderkand Satik (1549)
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