Gitapress Brihadaranyakopanishad (Code-577) :- गीताप्रेस की पुस्तक “बृहदारण्यकोपनिषद्” (कोड-577) एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो यजुर्वेद की काण्वी शाखा में वाजसनेय ब्राह्मण के अन्तर्गत आता है। इस उपनिषद में विभिन्न प्रसंगों में वेदांत तत्त्वज्ञान के महत्वपूर्ण विचारों का संक्षेप में वर्णन किया गया है। यह उपनिषद वास्तव में बृहत् है और इसका अध्ययन आरण्य में किया जाता था, इसलिए इसे “बृहदारण्यक” कहा जाता है।
बृहदारण्यकोपनिषद आध्यात्मिक ज्ञान के समृद्धि को प्रदर्शित करने वाला एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें आत्मा और परमात्मा के बीच संबंध, मोक्ष के उपाय, ध्यान और भक्ति की महत्वता, अध्यात्मिक साधनाओं का वर्णन, और संसार में मुक्ति की प्राप्ति के लिए उपदेश दिया गया है।
इस पुस्तक का भगवान शङ्कराचार्य के सबसे विशद भाष्य है और उसने इस ग्रंथ के महत्वपूर्ण विचारों को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। इस भाष्य के माध्यम से उपनिषद के गहरे अर्थ को समझने में पाठकों को सहायता मिलती है और उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान का अनुभव होता है।
बृहदारण्यकोपनिषद वेदांत दर्शन की महत्वपूर्ण रचनाओं में से एक है और इसे विशेष रूप से विद्यार्थियों और आध्यात्मिक ज्ञान के अनुसंधान करने वालों के लिए उपयोगी बनाया गया है। इस पुस्तक का अध्ययन करने से पाठकों को आत्मज्ञान, सत्यानुभव, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पुस्तक का अध्ययन करने से आध्यात्मिक सफलता, चित्त शुद्धि, और शांति की प्राप्ति होती है। इस पुस्तक को पढ़कर पाठक अपने जीवन में सच्चे आनंद को प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को ध्यान और धार्मिकता से संवार सकते हैं।
Gitapress Brihadaranyakopanishad (Code-577)
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