Gitapress Devibhagavat Ki Pramukh Kathaye (1647) :- गीताप्रेस की पुस्तक “गीताप्रेस देवीभागवत की प्रमुख कथाएं” (कोड-1647) में भगवान् काहय ग्रीवावतार की कथा के साथ मधु-कैटभ, शुकदेव और तत्त्वज्ञानी जनक, भगवती महिषासुर-मूदनी, सुरथ और समाधि-वैश्य को देवी दर्शन आदि सत्रह प्रमुख कथाओं को सम्बन्धित चित्रों के साथ प्रस्तुत किया गया है।
यह पुस्तक भगवती देवी के विभिन्न अवतारों और महिषासुर-मूदनी के प्रसिद्ध युद्ध की कथा के माध्यम से उनके महात्म्य का विवरण करती है। इसमें भगवती देवी के अद्भुत लीलाएं और विशेषता का वर्णन किया गया है। भगवती देवी भक्तों के दिलों के राजा हैं और उनकी कथाएं उन्हें ध्यान में लेने, उन्हें प्राप्त करने और उनके शक्तिशाली सानिध्य को महसूस करने के लिए प्रेरित करती हैं।
इस पुस्तक में सुरथ और समाधि-वैश्य जैसे भगवती देवी के भक्तों की कथाएं भी हैं, जो भगवती के दर्शन के लिए समर्थ हुए थे। भगवती देवी के महात्म्य को समझने के लिए यह पुस्तक अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस पुस्तक के अंतर्गत सभी प्रमुख कथाएं अत्यंत रोचक और शिक्षाप्रद हैं। भगवती देवी के प्रति श्रद्धा रखने वाले लोग इस पुस्तक का नित्य पाठ करते हैं और उन्हें उनके जीवन को सफल बनाने के लिए सामर्थ्य मिलता है। भगवती देवी की कथाएं धार्मिकता और भक्ति के लिए एक अनमोल स्रोत हैं, जिससे पाठक अपने जीवन में धर्मयुद्ध और सच्ची मुक्ति की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
Gitapress Devibhagavat Ki Pramukh Kathaye (1647)
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