Gitapress Durga Saptashati (1346) :- गीताप्रेस की पुस्तक “दुर्गासप्तशती” (1346) हिंदू-धर्म का एक सर्वमान्य ग्रन्थ है। इस पुस्तक में भगवती की कृपा के सुंदर इतिहास के साथ कई गूढ़ रहस्य भरे हैं। सकाम भक्त इस ग्रन्थ का श्रद्धापूर्वक पाठ करके अपनी कामनाएँ सिद्ध करते हैं और निष्काम भक्त दुर्लभ मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
“दुर्गासप्तशती” में पाठकर्म की प्रामाणिक विधि, कवच, अर्गला, कीलक, वैदिक, तान्त्रिक रात्रिसूक्त, देव्यथर्वशीर्ष, नवार्ण विधि, मूलपाठ, दुर्गाष्टोत्तर शतनामस्तोत्र, श्रीदुर्गामानस पूजा, तीनों रहस्य, क्षमा-प्रार्थना सिद्धि कुञ्जिका स्तोत्र, पाठ के विभिन्न प्रयोग तथा आरती दी गई हैं।
दुर्गासप्तशती के पाठ में इस देवी ग्रन्थ की विशेष भक्ति और समर्पण भावना से प्रवृत्त होकर भक्त दुर्गा माता की कृपा को प्राप्त करते हैं और उन्हें समस्त कष्टों से रक्षा की शक्ति मिलती है। यह ग्रन्थ देवी दुर्गा के शक्ति, सौंदर्य और संपूर्ण सर्वशक्तिमयी स्वरूप को प्रकट करता है और भक्तों के जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति का मार्ग प्रदर्शित करता है।
यह पुस्तक गीताप्रेस के द्वारा प्रकाशित की गई है और इसमें देवी दुर्गा के प्रत्येक भक्त के लिए अनमोल भक्ति-भाव भरे सिद्धांत, आरतियाँ, और स्तोत्र हैं। यह ग्रन्थ भगवती की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए एक मार्गदर्शक साधना पुस्तक के रूप में भी महत्वपूर्ण है।
Gitapress Durga Saptashati (1346)
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