Gitapress Ek Sant Ki Vasiyat (Code-1633) :- गीताप्रेस की पुस्तक “गीताप्रेस एक संत की वसीयत” (कोड-1633) एक अनमोल संकलन है जिसमें ब्रह्मलीन श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराज के अन्तिम प्रवचन, विचार और उनके शरीर त्याग के बाद उनकी वसीयत में लिखे पालनीय कर्म का वर्णन है।
इस पुस्तक में संत श्रीरामसुखदासजी महाराज के अन्तिम दिनों में उन्होंने शिष्यों और भक्तों को उनके विचारों और वसीयत के माध्यम से आत्मानुशासन के महत्वपूर्ण संदेश दिया। उनकी आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक अनुभव के प्रेरणादायक शब्द इस पुस्तक में उपलब्ध हैं। वे अपने शिष्यों को उच्चतम आदर्शों पर चलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इस पुस्तक में उनके उपदेश, सिद्धांत और जीवन के मूल्यवान अनुभवों के साथ उनकी आख्यानित प्रेरणा भरी वसीयत है।
यह पुस्तक संत श्रीरामसुखदासजी महाराज के उपास्यता, भक्ति, आदर्श जीवन और वेदांती विचारधारा के प्रति अध्यात्मिक दृष्टिकोण प्रदान करती है। उनके प्रेरणादायक उपदेश और आचरण का अनुसरण करके पाठक अपने जीवन को समृद्ध, शांतिपूर्ण और धार्मिक बना सकते हैं।
इस पुस्तक का संग्रह उन्होंने अपने संत मार्गदर्शक और साधना के अनुभवों से किया है, जिससे उपासक आध्यात्मिकता के अंदर भावनात्मक संवाद के साथ भगवान् से निकटता का अनुभव कर सकते हैं। इस पुस्तक का पठन करने से भक्ति और आध्यात्मिकता में वृद्धि होगी और जीवन के सार्थकता और उद्दीपन को प्राप्त किया जा सकता है।
Gitapress Ek Sant Ki Vasiyat (Code-1633)
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