Gitapress Gita Sadhak Sanjivani (Code-1080) :- “गीता साधक संजीवनी” (कोड-1080) गीता प्रेस की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जो आत्मकल्याण के लिए एक मार्गदर्शक साबित होती है। इस पुस्तक में ब्रह्मलीन श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराज ने गीता के जीवन की प्रयोगशाला से दीर्घकालीन अनुसंधान द्वारा अनन्त रत्नों का प्रकाश दिया है। यह पुस्तक साधकों को आत्मकल्याण के लिए उपयुक्त नेत्री है जो उन्हें साधना के चरम उत्कर्ष तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।इस टीका में स्वामीजी ने गीता के विभिन्न श्लोकों का उचित विवेचन किया है और उन्हें आत्मकल्याण के संदेश से जोड़ा है। इसमें भगवद्गीता के अनमोल सिद्धांत, ज्ञान, भक्ति और वैराग्य से संबंधित अद्भुत ज्ञान और आध्यात्मिक उपदेश दिए गए हैं। इस पुस्तक में आत्मकल्याण के लिए आवश्यक शिक्षाएं और उपाय उपलब्ध कराए गए हैं जो साधकों को आत्मानुसंधान और आत्मसाक्षात्कार के मार्ग में मदद करते हैं।
गीता-साधक-संजीवनी—ब्रह्मलीन श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराजने गीतोक्त जीवनकी प्रयोगशालासे दीर्घकालीन अनुसन्धानद्वारा अनन्त रत्नोंका प्रकाश इस टीकामें उतार कर लोककल्याणार्थ प्रस्तुत किया है, जिससे आत्मकल्याणकामी साधक साधनाके चरमोत्कर्षको आसानीसे प्राप्त कर आत्मलाभ कर सकें। इस टीकामें स्वामीजीकी
इस पुस्तक का अंतिम उद्देश्य साधकों को आत्मानुसंधान के माध्यम से साधना और आत्मविकास के मार्ग में प्रेरित करना है। यह पुस्तक भक्ति और ज्ञान के माध्यम से आत्मसाक्षात्कार के लिए साधकों को प्रेरित करती है और उन्हें आत्मकल्याण के सिद्धांतों के साथ जोड़ती है। इस पुस्तक का अध्ययन करके साधक आत्मनिरीक्षण और समर्पण के साथ धार्मिक उन्नति का मार्ग चुन सकता है।
Gitapress Gita Sadhak Sanjivani (Code-1080)
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