Gitapress Manusya Jivan ka Uddesya (Code-1653) :- गीताप्रेस की पुस्तक “गीताप्रेस मनुष्य-जीवन का उद्देश्य” (कोड-1653) में ब्रह्मलीन परम श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाके पुराने प्रवचनों से संकलित ज्ञान का संक्षेपण रूप में उपसंग्रह हुआ है।
यह पुस्तक मनुष्य-जीवन का उद्देश्य और धर्म की महत्ता पर विचार करती है। इसमें निःस्वार्थ सेवा के महत्व, भगवान के स्वरूप का ध्यान, विषयों की तुच्छता आदि विभिन्न प्रकरणों के माध्यम से परमार्थपथ की सुन्दर व्याख्या की गई है। यह पुस्तक धार्मिकता और सत्य की दिशा में ज्ञान प्रदान करती है और मनुष्य को धार्मिक जीवन जीने की सही मार्गदर्शन करती है।
इस पुस्तक में प्रवचनों के माध्यम से विभिन्न विचार और संदेश हैं, जो व्यक्ति को साधारण और नैतिक मूल्यों को समझने में मदद करते हैं। इस पुस्तक में प्रदर्शित सन्देश और सिद्धांत सामाजिक और आध्यात्मिक संकटों के सामने सहायक हैं और अधिक से अधिक लोगों को सच्चे और धार्मिक जीवन के लिए प्रेरित करते हैं।
यह पुस्तक धर्म और आध्यात्मिकता के सम्बन्ध में सच्चे ज्ञान का खजाना है और मनुष्य को उच्चतम आदर्शों की ओर प्रोत्साहित करती है। इसे पढ़ने से व्यक्ति अपने जीवन में धार्मिकता, सजीवता, समर्पण, शक्ति और सामर्थ्य प्राप्त करता है। इस पुस्तक के माध्यम से धार्मिक संदेश और उपयोगी सिद्धांतों का प्रसार किया जाता है, जो मनुष्य को उनके धर्मिक और आध्यात्मिक यात्रा में मदद करते हैं।
Gitapress Manusya Jivan ka Uddesya (Code-1653)
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