Gitapress Paramartha Sutra Sangraha (Code-543) : – “गीता प्रेस परमार्थ-सूत्र-संग्रह (कोड-543)” पुस्तक ब्रह्मलीन परम श्रद्धेय श्री जयदयालजी गोयन्दका के प्रवचनों से चुने हुए अनेक सूत्रात्मक उपदेशों का सूक्तियों के रूप में अद्भुत संकलन है।
” परमार्थ-सूत्र-संग्रह पुस्तकाकार—ब्रह्मलीन परम श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाके प्रवचनोंसे चुने हुए अनेक सूत्रात्मक उपदेशोंका सूक्तियोंके रूपमें अद्भुत संकलन। “
यह पुस्तक परमार्थ-सूत्रों का एक संकलन है, जिसमें श्री जयदयालजी गोयन्दका जी के प्रवचनों के माध्यम से उद्धृत किए गए सूत्रों का संग्रह है। यह संग्रह अत्यंत महत्वपूर्ण और गंभीर विषयों को संक्षेप में प्रस्तुत करता है।
पुस्तक में प्रमुखतः आध्यात्मिक, दार्शनिक, नैतिक और दिव्य सूत्रों का संकलन किया गया है। इन सूत्रों में जीवन के उद्देश्य, आत्मा का स्वरूप, सत्य का मार्ग, कर्मों की महिमा, दया और दयालुता, भक्ति की महत्ता, समाधि और मुक्ति के लक्ष्य आदि विभिन्न विषयों पर उपदेश दिए गए हैं।
इस पुस्तक के माध्यम से पाठक आध्यात्मिक ज्ञान, मनन और ध्यान का अद्यतन प्राप्त कर सकते हैं। यह पुस्तक उच्च आदर्शों, सत्य की प्रतिष्ठा और परमार्थ के आपूर्ति के लिए एक अद्वितीय साधना है।
इस पुस्तक में अत्यंत शोभन एवं मनोहारी संक्षिप्त उक्तियों के द्वारा आपको जीवन के आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों का परिचय मिलेगा। प्रत्येक सूत्र ने जीवन के असली अर्थ और उद्देश्य को सुंदरता के साथ व्यक्त किया है।
यह पुस्तक ज्ञान, विवेक, संयम, धर्म और आध्यात्मिकता के प्रतीक बनती है। इसे पठने से पाठक का मन प्रफुल्लित होता है और उसे उच्चतर आदर्शों की ओर प्रेरित करता है। यह पुस्तक आपके जीवन में सत्य, प्रेम, समर्पण और आनंद का स्रोत बन सकती है।
Gitapress Paramartha Sutra Sangraha (Code-543)
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