“गीता प्रेस” की पुस्तक “गीताप्रेस रामचरितमानस सुंदरकांड 2-पीस” (कोड-847) हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जिसमें श्री गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज द्वारा रचित “रामचरितमानस” का सुंदरकांड संकलित है। यह पुस्तक प्राचीन भारतीय साहित्य की महानतम रचनाओं में से एक है और इसके माध्यम से आदर्श राजधर्म, आदर्श गृहस्थ जीवन, आदर्श पारिवारिक जीवन और मानव-धर्म के सर्वोत्कृष्ट आदर्शों को प्रकट किया गया है।
“रामचरितमानस” एक दिव्य ग्रंथ है जो भगवान श्रीराम की लीलाओं और उनके गुणों का वर्णन करता है। इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों को भगवान की भक्ति, ज्ञान, त्याग और वैराग्य की प्राप्ति के लिए प्रेरित किया जाता है। यह ग्रंथ संसार में किसी भी भाषा में इसके समान मानव-धर्म, भगवान्की लीला और गुणों को प्रकट करने वाला एकमात्र रत्न है। इसके मंत्रवत आदर करने से और इसके उपदेशों के अनुरूप आचरण करने से मानव जीवन के कल्याण के साथ ही भगवति प्रेम की सहज ही प्राप्ति संभव होती है।
“रामचरितमानस” के बृहदाकार, ग्रंथाकार, मझला आकार, गुटका आकार और अलग-अलग काण्डों के रूप में विभिन्न भाषाओं में सटीक और मूल अनेक संस्करण प्रकाशित किए गए हैं। “रामचरितमानस” के सटीक संस्करण को प्रमाणित करने के लिए सैकड़ों टीकाओं में पाठ-भेदों को दृष्टि में रखकर सर्वाधिक प्रमाणित टीकाएं निकाली गई हैं। यहां से प्रकाशित “रामचरितमानस” का मूलपाठ भी यथाशक्ति शुद्ध और क्षेपकरहित है।
“रामचरितमानस” के सभी संस्करणों में पाठ-विधि के साथ नवाह्न और मासपारायण के विश्राम स्थान, गोस्वामीजी की संक्षिप्त जीवनी, “रामशलाका” प्रश्नावली और अंत में रामायण की आरती भी दी गई है। “रामचरितमानस” के विभिन्न संस्करणों की प्रत्येक घर में उपस्थिति ही इसकी लोकप्रियता और प्रामाणिकता का सुंदर परिचय है।
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