Gitapress Sant Samagam (Code-1733) :- “गीताप्रेस संत समागम” (कोड-1733) पुस्तक एक महत्वपूर्ण रचना है जो ब्रह्मलीन श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराज द्वारा प्रणीत की गई है। यह पुस्तक तत्त्वज्ञान के गूढ़ भावों की अनुपम प्रकाशिका है और साधकों के लिए मार्गदर्शन करने का उद्देश्य रखती है।
“संत समागम” में तत्त्विक प्रश्नोत्तर, कल्याणकारी प्रश्नोत्तर, साधना की चरम सीमा, वास्तविक उद्देश्य, तीन महाव्रत आदि, पांद्रह शीर्षकों में साधकों के उपयोग के लिए विभिन्न विषयों को प्रश्नोत्तर शैली में प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक के माध्यम से, पाठकों को आध्यात्मिक ज्ञान, तत्त्वज्ञान और साधना के महत्वपूर्ण पहलुओं का विस्तृत अध्ययन करने का अवसर प्राप्त होता है।
इस पुस्तक में स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराज के अद्भुत शिक्षाएँ और आध्यात्मिक दिशानिर्देश प्रस्तुत किए गए हैं, जो साधकों को उनके आध्यात्मिक यात्रा में मार्गदर्शन करते हैं। यह पुस्तक आध्यात्मिक अनुसंधान में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए एक मूल स्रोत है जो उन्हें अपने आत्मा की ऊंचाइयों तक पहुंचाता है। संत-समागम पुस्तकाकार—ब्रह्मलीन श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराजके द्वारा प्रणीत यह पुस्तक तत्त्वज्ञानके गूढ़ भावोंकी अनुपम प्रकाशिका है। इसमें तात्त्विक प्रश्नोत्तर, कल्याणकारी प्रश्नोत्तर, साधनकी चरम सीमा, वास्तविक उद्देश्य, तीन महाव्रत आदि पन्द्रह शीर्षकोंमें साधकोपयोगी विभिन्न विषयोंको प्रश्नोत्तर शैलीमें प्रस्तुत किया गया है।
Gitapress Sant Samagam (Code-1733)
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