Gitapress Satsanga-Muktahar (Code-861) :- “गीता प्रेस” की पुस्तक “गीताप्रेस सत्संग-मुक्ताहार” (कोड-861) हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इस पुस्तक का लेखक ब्रह्मलीन श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी हैं, जिन्होंने आध्यात्मिक रहस्यों का उद्घाटन करनेवाले नौ लेखों का संकलन किया है।
“सत्संग-मुक्ताहार” पुस्तक में संतों और महात्माओं के सत्संग (सच्चे सभा) के महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई है। यह पुस्तक आध्यात्मिक ज्ञान की गहराई और साधकों के मनोवृत्ति की उत्तेजना को समझाने का प्रयास करती है। इसमें दिव्य सत्संग के लाभ, गुरु की महिमा, भक्ति की अनुपमता, आचार्यों के उपदेश, मन की शुद्धि, मोक्ष के लक्षण और सत्संग के महत्त्व जैसे विषयों पर विस्तृत विचार प्रस्तुत किए गए हैं।
यह पुस्तक साधकों को सत्संग के महत्वपूर्ण आदर्शों और आध्यात्मिक सिद्धांतों के साथ परिचित कराती है। इसके माध्यम से पाठकों को आध्यात्मिक जीवन में सत्संग की महत्ता समझाई जाती है और उन्हें उच्चतम सत्संग में भाग लेने की प्रेरणा मिलती है।
“सत्संग-मुक्ताहार” में ग्रंथकार ने सरल भाषा और सुंदर लेखन का प्रयोग किया है ताकि पाठकों को संतों और महात्माओं के सत्संग के तत्वों को समझने में आसानी हो। इस पुस्तक के माध्यम से साधकों को आध्यात्मिक यात्रा में प्रेरित किया जाता है और उन्हें सत्संग की महत्ता और उपयोग के बारे में अधिक ज्ञान प्राप्त होता है।
“सत्संग-मुक्ताहार” पुस्तक के प्रकाशन से आध्यात्मिक संघों और संस्थाओं में इसकी लोकप्रियता और प्रमाणिकता बढ़ी है। इस पुस्तक को पठने से साधकों के आध्यात्मिक विकास में सहायता मिलती है और वे सत्संग के द्वारा आध्यात्मिक ज्ञान का अध्ययन कर सकते हैं।.
Gitapress Satsanga-Muktahar (Code-861)
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