Gitapress Shriharivansh Puran (Code-38) :- “गीताप्रेस श्रीहरिवंश पुराण (कोड-38)” एक अद्वितीय पुस्तक है जो भारतीय साहित्य के महाकाव्य, महाभारत के खिलभाग और हरिवंश पुराण का एक महत्वपूर्ण भाग है। इस पुस्तक का ग्रन्थाकार हरिवंश पुराण के वेदार्थ को प्रकट करने का काम करता है और इसे महाभारत का आखिरी पर्व कहा जाता है।
हरिवंश पुराण का पठन भारतीय संस्कृति में पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से जुड़ा है और इसका श्रवण भारतवर्ष में बहुत समय से प्रचलित है। यह पुराण पुत्र-प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है, और उन्होंने इसके श्रवण से अपनी कामनाएं पूरी की हैं. इस पुस्तक के माध्यम से पठकों को पुत्र-प्राप्ति के लिए साधना और व्रत का महत्व भी समझाया जाता है.
“गीताप्रेस श्रीहरिवंश पुराण (कोड-38)” में भगवद्भक्ति और प्रेरणादायी कथाओं का भी महत्वपूर्ण स्थान है. यह पुराण भगवान श्रीकृष्ण के साथ जुड़े अनगिनत कथाओं का संग्रह करता है, जो अन्यत्र विद्वेष्य हैं. इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों को भगवान के अनंत गुणों और लीलाओं का अनुभव करने का अवसर मिलता है.
“गीताप्रेस श्रीहरिवंश पुराण (कोड-38)” का अंत में सन्तानगोपाल-मन्त्र, अनुष्ठान-विधि, सन्तान-गोपाल-यन्त्र और संतान-गोपाल-स्तोत्र भी शामिल हैं, जो पुत्र-प्राप्ति के अद्वितीय मार्ग को प्रस्तुत करते हैं. यह पुस्तक चित्रित है और सजीवता के साथ प्रस्तुत की गई है, जिससे पाठकों का ध्यान आकर्षित होता है और वे इसके अद्वितीय अंशों का आनंद उठा सकते हैं.
Gitapress Shriharivansh Puran (Code-38)
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