Gitapress Tu hi Tu (1360) :- तू-ही-तू—सर्वत्र भगवद्दर्शनकी कलाका एक सुन्दर प्रतिपादन। गीताप्रेस की पुस्तक “तू-ही-तू” (1360) एक अद्भुत ग्रन्थ है, जो सर्वत्र भगवद्दर्शन की कला का एक सुंदर प्रतिपादन करता है। “तू-ही-तू” एक धार्मिक ग्रंथ है जो मन, आत्मा और ईश्वर के मध्य संबंध को प्रकट करता है। इस पुस्तक के माध्यम से भगवान के सानिध्य का अनुभव किया जा सकता है और व्यक्ति को अपने अंतरंग को पहचानने की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
“तू-ही-तू” के माध्यम से भक्तों को भगवान के साथ एकता और समर्थन की भावना का अनुभव होता है। इस पुस्तक में भगवान के सुंदर चित्रों और कविताओं के साथ उनकी स्तुति और महिमा का सुंदर वर्णन किया गया है। यह पुस्तक भक्ति और प्रेम की भावना को बढ़ाने और अपने आराध्य भगवान के प्रति समर्पण भाव को उत्पन्न करने में मदद करता है।
“तू-ही-तू” ग्रंथ का पाठ भगवान की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए श्रद्धा और भक्ति से किया जाना चाहिए। इस पुस्तक में भगवान के सुंदर चित्रों का आनंद लेने से भक्तों की धार्मिक भावना और आराधना में समर्थता बढ़ती है। यह ग्रंथ भक्तों के ध्यान और स्तुति में एक आदर्श साथी के रूप में काम आता है, जो उन्हें भगवान के प्रति अधिक समर्पित बनाता है।
Gitapress Tu hi Tu (1360)
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