Gitapress Gita Ramanuja Bhashya (Code-581)
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Gitapress Gita Ramanuja Bhashya (Code-581) :- "गीता-रामानुजभाष्य" (कोड 581) गीता प्रेस की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जिसका लेखक जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य हैं। यह पुस्तक विशिष्टाद्वैत सिद्धान्त की पुष्टि में गीता की आश्चर्यजनक व्याख्या है, जिसे भक्ति-पक्ष के लगभग सभी आचार्यों ने अनुकरण किया है। इस भाष्य में आचार्यश्री ने अद्वैतवाद का श्रुति-स्मृति के प्रमाणों सहित सुंदर युक्तियों द्वारा खंडन किया है, भगवद्-आराधना पूर्वक कर्म की आवश्यकता पर बल दिया है, और आत्मबोध हेतु सतत प्रयास किया है।
"गीता-रामानुजभाष्य" में गीता के प्रमुख तत्वों, दर्शनिक सिद्धांतों, धर्म के अर्थ, समस्याओं के समाधान और आध्यात्मिक साधनाओं का विशद विवरण है। यह पुस्तक पाठकों को श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद के माध्यम से आत्मज्ञान, वैष्णव दर्शन, और भक्ति मार्ग की महत्वपूर्ण बातें समझाती है।
"गीता-रामानुजभाष्य" में आचार्य श्री रामानुजाचार्य न गीता के प्रत्येक श्लोक को समझाने के लिए गहन व्याख्यान किया है। उन्होंने गीता के तत्वों का विश्लेषण किया है और अद्वैत दर्शन के साथ उसके विरोध को खंडन किया है। इस पुस्तक में भगवद्-आराधना, कर्म की महत्वता, और आत्मबोध के लिए निरंतर प्रयास करने का महत्वपूर्ण विवेचन है। यह पुस्तक भक्ति और ज्ञान के मार्ग पर उच्च सिद्धान्तों को प्रस्तुत करती है और आत्मा के मुक्ति के लिए मार्गदर्शन करती है।
"गीता-रामानुजभाष्य" एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जो गीता के अद्भुत सन्देश को आत्मा के आद्यत्मिक विकास के संबंध में प्रस्तुत करती है। इसका अध्ययन करके पाठक आत्मा की प्राप्ति और आध्यात्मिक सुन्दरता के प्रति गहरी रुचि विकसित कर सकते हैं।
Gitapress Gita Ramanuja Bhashya (Code-581)
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